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अब रात में भी सोलर पैनल बिजली बनाएंगे – हाइड्रोजन सोलर पैनल से बैटरी का झंझट खत्म!

हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है?

हाइड्रोजन सोलर पैनल्स एक नए जमाने की टेक्नोलॉजी है जो सोलर एनर्जी को स्टोर करने के लिए हाइड्रोजन गैस का उपयोग करते हैं। ये पैनल्स दिन के समय सूर्य की रोशनी से न केवल बिजली बनाते हैं, बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा को हाइड्रोजन गैस के रूप में संग्रहित भी कर लेते हैं। जब आसमान में बादल हों या रात का समय हो, तब यह इकट्ठा किए गए हाइड्रोजन गैस फ्यूल सेल की मदद से बिजली में बदल दी जाती है। इस तकनीक की मदद से बिना किसी रुकावट के दिन-रात बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है।

 इसको हम ऐसे भी समझ सकते हैं

1.दिन के समय सूरज की रोशनी से हाइड्रोजन तैयार किया जाता है।
2.रात के समय उस हाइड्रोजन से बिजली बनाई जाती है।

हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे काम करता है?

इस प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण होते हैं:

1.फोटोवोल्टिक (Photovoltaic) प्रक्रिया – यह वही तरीका है जिससे पारंपरिक सोलर पैनल काम करते हैं। इसमें सोलर पैनल सूरज की रोशनी को बिजली में बदलते हैं।

2.इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया – फोटोवोल्टिक सिस्टम से जो बिजली मिलती है, उससे पानी (H₂O) को तोड़कर हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) बनाया जाता है।

3.फ्यूल सेल तकनीक – जब सूरज नहीं होता, यानी रात के समय, उस स्टोर किए गए हाइड्रोजन को फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी की मदद से दोबारा बिजली में बदला जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया में बैटरियों की जरूरत नहीं पड़ती और बिजली की सप्लाई लगातार बनी रहती है।

इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया क्या होती है?

इलेक्ट्रोलिसिस एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें पानी को बिजली की मदद से दो गैसों – हाइड्रोजन और ऑक्सीजन – में बदला जाता है।
फॉर्मूला कुछ ऐसा होता है:

2H₂O → 2H₂ + O₂

यह प्रक्रिया पूरी तरह प्रदूषण रहित होती है और इसमें किसी तरह का धुआं या कार्बन नहीं निकलता।

फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी क्या है?

फ्यूल सेल एक डिवाइस है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली बनाता है।
इसकी खास बात यह है कि इसमें:

A.कोई धुआं नहीं निकलता
B.सिर्फ पानी और बिजली बनती है
C.बहुत कम ध्वनि या शोर होता है
D.इसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है

इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा है कि यह बैटरियों की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक चल सकती है।

फोटोवोल्टिक तकनीक क्या है?

फोटोवोल्टिक (Photovoltaic)- तकनीक वह पारंपरिक तरीका है जिससे सोलर पैनल सूरज की रोशनी को डायरेक्ट इलेक्ट्रिसिटी में बदलते हैं। इसमें सोलर सेल्स लगाए जाते हैं जो सूर्य की रोशनी को इलेक्ट्रॉनों में बदलते हैं, जिससे बिजली पैदा होती है।

यह तकनीक सिर्फ दिन में काम करती है, जब सूरज की रोशनी उपलब्ध होती है। इसलिए अब इसकी जगह हाइड्रोजन आधारित तकनीक को और भी ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।

✅ हाइड्रोजन सोलर पैनल के फायदे क्या हैं?

हाइड्रोजन सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों से कई मायनों में बेहतर हैं। इसके कुछ मुख्य फायदे हैं:

1.24 घंटे बिजली उपलब्ध – रात में भी बिजली बनती है।
2.कोई बैटरी नहीं – बैटरियों की जगह हाइड्रोजन स्टोरेज इस्तेमाल होता है।
3.क्लीन एनर्जी – पूरी प्रक्रिया प्रदूषण रहित है।
4.लंबी उम्र – फ्यूल सेल और इलेक्ट्रोलाइजर दोनों ही लंबे समय तक चलते हैं।
5.ग्रिड फ्री बिजली – दूर-दराज के क्षेत्रों में बिजली मुहैया कराई जा सकती है।
6.घरेलू और औद्योगिक उपयोग दोनों में उपयोगी

हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत कितनी होगी?

 चुकि ये टेक्नोलॉजी बिल्कुल नई आई हुई है यानी यह जो हाइड्रोजन सोलर पैनल है यह बिल्कुल नए हैं तो अभी इसका प्राइस जो पारंपरिक सोलर है उसकी अपेक्षा थोड़ा ज्यादा हो सकता है| एक सामान्य हाइड्रोजन सोलर पैनल सिस्टम की कीमत लगभग ₹1 लाख से ₹1.5 लाख तक हो सकती है

हालांकि, जैसे-जैसे यह तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जाएगी और सरकार या निजी कंपनियां इसका उत्पादन करेंगी, इसकी लागत धीरे-धीरे कम होती जाएगी।

Written by - Shekh Mohammad

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2025-07-08 10:06:05

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